12 May 2021 Current affairs

 

ग्रेट निकोबार द्वीप के लिये नीति आयोग की परियोजना

हाल ही में एक पर्यावरण मूल्यांकन समिति, जिसने ग्रेट निकोबार द्वीप से संबंधित परियोजना पर चिंता व्यक्त की थी, ने अब पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) अध्ययनों के लिये इस परियोजना को ‘संदर्भ की शर्तों के अनुदान’ हेतु अनुशंसित किया है।

अगस्त, 2020 में प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को ‘मेरीटाइम एंड स्टार्टअप हब’ के रूप में विकसित किया जाएगा।

परियोजना के बारे में:

  • इस प्रस्ताव में एक अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट टर्मिनल, एक ग्रीनफील्ड अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, एक बिजली संयंत्र और 166 वर्ग किलोमीटर में फैला एक टाउनशिप कॉम्प्लेक्स का निर्माण शामिल है। यह निर्माण मुख्य रूप से प्राचीन तटीय प्रणाली और उष्णकटिबंधीय वनों की भूमि पर किया जाएगा।
  • इस पर होने वाला अनुमानित व्यय 75,000 करोड़ रुपए है।

परियोजना से संबंधित मुद्दे:

भूकंपीय और सूनामी खतरों, मीठे पानी की आवश्यकता और विशालकाय लेदरबैक कछुओं पर पड़ने वाले प्रभाव से संबंधित विवरण का अभाव।

वनोन्मूलन से संबंधित विवरण का अभाव-

  • इस परियोजना में 130 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में लाखों की संख्या में पेड़ों को काटा जा सकता है। इस क्षेत्र में भारत के कुछ बेहतरीन उष्णकटिबंधीय वन मौज़ूद हैं।
  • इसके अतिरिक्त इसमें कई अन्य मुद्दे जैसे गैलाथिया खाड़ी, बंदरगाह निर्माण का स्थान और नीति आयोग के प्रस्ताव के केंद्र बिंदु आदि भी शामिल हैं।
  • गैलाथिया की खाड़ी, दुनिया के सबसे बड़े समुद्री कछुए ‘एंजीमेटिक जिआंट टर्टल’ का ‘नेस्टिंग’ स्थल है, यह दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री कछुआ है जो तीन दशकों में किये गए सर्वेक्षणों के माध्यम से खोजा गया है।
  • पिछले कुछ वर्षों में पारिस्थितिक सर्वेक्षणों ने ऐसी कई नई प्रजातियों की सूचना दी है, जो केवल गैलाथिया क्षेत्र तक सीमित हैं।
  • इनमें गंभीर रूप से लुप्तप्राय निकोबार छछूँदर (Nicobar Shrew), ग्रेट निकोबार क्रेक, निकोबार मेंढक, निकोबार कैट स्नेक (Nicobar Cat Snake), एक नया स्किंक (Lipinia Sp), एक नई छिपकली (Dibamus Sp) और लाइकोडोन एसपी (Lycodon Sp) का एक साँप शामिल है।
  • बंदरगाह हेतु साइट का चयन मुख्य रूप से तकनीकी और वित्तीय मानदंडों के आधार पर किया गया है, इसमें पर्यावरणीय पहलुओं की अनदेखी की गई।

समिति द्वारा सूचीबद्ध एक्शन प्लान:

  • तेल रिसाव सहित ड्रेजिंग, पुनर्ग्रहण और बंदरगाह संचालन के प्रभाव पर अध्ययन के साथ-साथ स्थलीय और समुद्री जैव विविधता के स्वतंत्र मूल्यांकन की आवश्यकता है।
  • पर्यावरण और पारिस्थितिकी प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करने के लिये बंदरगाह हेतु वैकल्पिक साइटों के अध्ययन की आवश्यकता के साथ विशेष रूप से लेदरबैक कछुओं पर आने वाले जोखिम से निपटने की क्षमताओं के विश्लेषण की भी आवश्यकता है।
  • भूवैज्ञानिक अध्ययन और सतही जल पर परियोजना के प्रभाव का आकलन करने के लिये एक भूकंपीय और सूनामी खतरा मानचित्र, एक आपदा प्रबंधन योजना, श्रम का विवरण, श्रम शिविरों और इसके संचयी प्रभाव के आकलन की आवश्यकता है।

‘लॉन्ग मार्च -5 बी वाई2’ रॉकेट

  चर्चा में क्यों?

 हिन्द महासागर में स्थित मालदीव के निकट ‘लॉन्ग मार्च -5 बी वाई2’ रॉकेट का मलबा गिरा है।

 ‘लॉन्ग मार्च -5 बी वाई2’ 

  • एक चीनी रॉकेट है। उपयोगस्पेस स्टेशन के निर्माण हेतु कर रहा है।
  • तीन प्रमुख घटकों में से प्रथम घटक ‘तियान्हे मॉड्यूल’ (Tianhe module) को लेकर गया था। अपने मार्ग से अनियंत्रित हो गया था।

नासा द्वारा आलोचना

  •  मलबे का मालदीव के उत्तर में हिंद महासागर में गिरने को लेकर चीन की आलोचना की है।
  • गैरजिम्मेदारपूर्ण कारवाई कहा है। मानवता के लिए काफी खतरनाक हैं।
  •  चीन और अन्य देश अंतरिक्ष में ‘जिम्मेदारी और पारदर्शिता’ के साथ काम करें।
  •  अन्तरिक्ष एजेंसियों को और ज्यादा पारदर्शिता बरतनी चाहिए।

चीन का अंतरिक्ष स्टेशन

  • चीन अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण कर रहा है।
  • चीन के अंतरिक्ष स्टेशन का नाम ‘तियांगॉन्ग’ (Tiangong) है।
  • चीन ने तियांगॉन्ग (Tiangong) स्पेस स्टेशन के निर्माण कार्य के पूरा करने का लक्ष्य अगले साल के अंत तक रखा है।
  • तियांगॉन्ग , का जीवनकाल 10 वर्ष का होगा, अर्थात यह वर्ष 2037 तक कार्य करेगा।
  • दुनिया का दूसरा अंतरिक्ष स्टेशन होगा।

मालदीव

  • मालदीव, हिन्द महासागर में स्थित एक द्वीपीय देश है।
  • दरअसल यहाँ प्रवाल द्वीप पाये जाते हैं। इसलिए यह देश पर्यावरण के प्रति संवेदनशील है।
  • मालदीव, जनसंख्या और क्षेत्र दोनों ही प्रकार से एशिया का सबसे छोटा देश है।
  • मालदीव की राजधानी माले है।

एकीकृत बागवानी विकास मिशन
(MIDH)

  • इस योजना के अंतर्गत सब्जियां, जड़ और कंद फसलों,मशरुम, फूल, सुगंधित पौधे, नारियल, काजू आदि को शामिल किया गया है।
  • MIDH के तहत, जबकि भारत सरकार ( GOI) द्वारा पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों में विकासात्मक कार्यक्रमों के लिए कुल परिव्यय का 85% योगदान व राज्य सरकारों द्वारा 15% परिव्यय वहन किया जाएगा। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में ,GOI का योगदान शत-प्रतिशत व्यय वहन करेगी।

उप योजनाएं
1- राष्ट्रीय बागवानी मिशन ( NHM)
2- पूर्वोत्तर और हिमालई राज्यों के लिए बागवानी मिशन।
3- राष्ट्रीय बास मिशन ( NBM)
4- राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड ( NHB)

काजीरंगा एनिमल कॉरिडोर

  • एनिमल कारिडोर पशुओं को दो पृथक स्थानों से जोड़ने वाले सुरक्षित मार्ग को कहा जाता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी एक रिपोर्ट में 9 पशु गलियारों के परिसीमन की सिफारिश की थी।
  • असम के नागांव जिले में अमगूरी, बागोरी, चिरांग देवसूर हरमाती, हाटीडंडी एवं कंचनपुरी तथा गोलाघाट जिले में हल्दीबाड़ी और पनवारी गलियारे स्थित है।
  • यह गलियारे विभिन्न पशुओं जैसे गैंडा, हाथी ,बाघ ,हिरण आदि जो बाढ़ वाले क्षेत्रों से निकलकर दूर स्थित टाइगर रिजर्व की दक्षिणी सीमा क्षेत्र में निवास करते हैं।
  • मानसून अवधि समाप्त होने पर, यह सभी जानवर घास के मैदान में वापस आ जाते हैं।

भारत- यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक

चर्चा में क्यों
• इस बैठक में भारत के प्रधानमंत्री,E.U. के 27 सदस्य , यूरोपीय परिषद तथा यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष शामिल हुए।
प्रमुख समझौते

  • द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौता।
  • व्यापक मुक्त व्यापार समझौता।
  • कनेक्टिविटी में भागीदारी।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता
  • आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए संगठन।
  • प्रौद्योगिकी 5-G तथा A.I. में सहयोग।
  • WTO में TRIPS के नियमों में छूट के लिए E.U. से समर्थन का अनुरोध।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस – 2021


चर्चा में क्यों?
हाल ही में 11 मई को मनाया गया है।
थीम – ‘सतत् भविष्य के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ है।
इतिहास
11 मई, 1998 को राजस्थान के पोखरण में ‘ऑपरेशन शक्ति’ के उपलब्धियों के आधार पर, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस घोषित किया था।
ऑपरेशन शक्ति

  • पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण 18 मई, 1974 में किया गया था ; जिसका नाम ‘स्माइलिंग बुद्धा’ रखा गया था।
  • दूसरा परीक्षण 11 मई, 1998 को ‘ऑपरेशन शक्ति’ के तहत किया गया था। नाम ‘पोखरण II’ था।
  • ‘पोखरण II’ के तहत 11 मई से लेकर 13 मई तक पाँच परमाणु परीक्षण किए गए थे।
  • पहला एक संलयन (Fusion) बम था जबकि अन्य चार विखंडन बम थे।
  • DRDO, BARC, AMDER निदेशालय के वैज्ञानिकों के सहयोग से किया गया था।
  • नेतृत्त्व दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा किया गया था।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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