अरब भूगोलवेत्ता

यूरोप में अंध युग तथा भूगोल के विकास में अरब भूगोलवेत्ताओं का योगदान।

  परिचय

     रोमन साम्राज्य के पतन होने के पश्चात यूरोप में धार्मिक कट्टरपंथ तथा रुढिंयो का समाज पर प्रभाव बढ़ने लगा।बाइबिल के अनुसार प्रत्येक विषय वस्तु की व्याख्या की जाने लगी तथा उसमें कही गई बातों के इतर विचारों को कठोरता पूर्वक दबाया जाने लगा।

तत्कालिक ईसाई समाज पर ईसाई धर्म का इतना अत्यधिक प्रभाव पड़ा कि ज्ञान विज्ञान के विकास की सारी संभावनाएं समाप्त होने लगी यहां तक यूरोपीय समाज अपने पूर्वजों द्वारा प्रदान की गई ज्ञान की ख्याति को भी संभाल नहीं पाया।

 तत्कालिन समय में कल्पनाओं के आधार पर मानचित्र का निर्माण किया जाने लगा। इस युग में जिस विश्व मानचित्र की रचना हुई उसे T-in-O कहा जाता है।

  अरब भूगोलवेत्ताओं के योगदान

यूरोप के अंधकार युग ( चौथी शताब्दी से 12वीं शताब्दी) के कारण जहां ज्ञान विज्ञान को काफी नुकसान पहुंचा वहीं अरब प्रायद्वीप में इस्लाम धर्म की स्थापना के पश्चात ज्ञान विज्ञान के विकास को प्रोत्साहित किया गया।

मध्यकाल में (आठवीं से तेरहवीं शताब्दी) इस्लामी साम्राज्य का अत्यधिक विस्तार हुआ। इस काल में अनेक कारणों ने भी भौगोलिक ज्ञान के विकास में रुचि उत्पन्न की।

 जैसे– i-  यूनानी सभ्यता पर अरबों का विजय

 ii- व्यापार में वृद्धि

 iii- भारतीय संस्कृति से संपर्क

 IV- परिवहन मार्गों का विस्तार

          प्रमुख अरब भूगोलवेत्ता

  • इब्नहाकल
  • इब्नसीना
  • इब्नखाल्दून
  • अल-मसूदी
  • अल-बरूनी
  • अल-इदरीसी
  • अलबल्खी

                इब्नहाकल

पुस्तकें- 

  • पृथ्वी की आकृति,
  • संसार के देश
  • A book of Routes and Realms

इब्नसीना

  • अरब भूगोल का विकास
  • विश्वकोश का निर्माण।

इब्नबतूता

पुस्तक-  रेहला: अ ट्रैवल्स

  • अरब जगत का मार्कोपोलो।
  • मोहम्मद बिन तुगलक ने इसे दिल्ली काजी तथा इसे चीन में अपना राजदूत बनाकर भेजा।

     इब्नखाल्दून

 पुस्तक – मुकद्दिमाह

  • प्रथम पर्यावरणीय निश्चयवादी 
  • इनके अनुसार उष्ण क्षेत्र के निवासी लापरवाह तथा सुस्त होते हैं जबकि शीतोष्ण क्षेत्र के लोग फुर्तीले तथा बुद्धि में श्रेष्ठ होते हैं।

    अल मसूदी

  पुस्तक – समय विवरणिका, उपदेश एवं निरीक्षण।

  • सोने की चरागाह तथा जवाहरात की खाने।
  • इन्होंने अरब सागर में चलने वाली हवाओं के लिए मौसिम शब्द का उपयोग किया।
  • नदियों के अपरदन पर प्रकाश डाला।
  • नियतिवदी चिंतक।

अलबरूनी

 पुस्तक • किताबे-उल – हिंद

           • तारीख -उल- हिंद

           • रिसाला

           • अल कानून

           • अल मसूदी ( टालमी के अल्मागेस्ट पर लिखी गई)

  • द वेस्टिज ऑफ पास्ट

उन्होंने अपनी पुस्तक रिसाला में ध्रुवों पर होने वाले 6 महीने दिन व रात को स्पष्ट किया है। उषाकाल और संध्या काल के बारे में उसने प्रकाश डाला। उनके अनुसार इस तरह की घटनाएं तभी होती है जब सूर्य की किरणें 18 अंश से नीचे होती हैं।

  अल-इदरीसी

पुस्तक – ज्योग्राफिया,

  • उनके लिए मनोरंजन जो “विश्व भ्रमण के इच्छुकों के लिए मनोरंजन” रखता है। ( ऑलरुपारी)

   अलबल्खी

किताब उल अशकाल अलबल्खी द्वारा तैयार की गई विश्व की प्रथम जलवायु मानचित्र हैं।

अन्य

  • रहमुर-मुजी ने ‘ हिंद के करिश्मे’ नामक पुस्तक लिखी।
  • बगदाद के खलीफा हारुन – उल – रशीद के संरक्षण में बैतुलहिक्मा नामक शिक्षण संस्थान की स्थापना की गई है।

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