कार्स्ट भू-आकारिकी

परिचय– चूना के पत्थर वाले चट्टानों के क्षेत्र को कार्स्ट क्षेत्र कहते हैं। तथा भूमिगत जल द्वारा निर्मित कार्स्ट क्षेत्रों के स्थलाकृति को कार्स्ट स्थलाकृति कहते हैं। उल्लेखनीय है कि ऊपरी सतह के नीचे चट्टानों के छिद्रों तथा दरारों में स्थित जल को भूमिगत जल कहते हैं। वर्षा का जल विभिन्न रूपों में सतह से …

हिमनद

परिचय– हिमनद अन्य अपरदन के कारकों के समान भूतल पर समतल स्थापना का कार्य करता है, हालांकि इसके अपरदनात्मक कार्य काफी विवादग्रस्त हैं। हिमनद धरातल पर सरिताओं के समान ही हिमयुक्त नदि के समान होते हैं उनकी गति मंद होती हैै। हिमनद वास्तव में हिम समूह होते हैं जो हिमक्षेत्र से गुरुत्व के कारण प्रवाहित …

पवन

शुष्क एवं अर्धशुष्क स्थलाकृतियां परिचय– पवन एक महत्वपूर्ण तृतीय स्थलाकृति के निर्माण का अभिकर्ता है। वायु शुष्क एवं अर्धशुष्क क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की अपरदन एवं निक्षेप जनित स्थलाकृतियो का निर्माण करता है। उल्लेखनीय है कि 10 इंच (25 सेंटीमीटर) से कम वार्षिक वाले क्षेत्रों को मरुस्थल (शुष्क) तथा 10 से 20 इंच (25 से …

तटीय भू आकृति

सागर के तटवर्ती क्षेत्र में अनेक अपरदन हुआ निक्षेप जनित स्थलाकृतियों का निर्माण होता है। इनके निर्माण में सागरीय तरंग, सागरिया धारा, ज्वारीय तरंग, सुनामी आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। फिर भी इनमें सागरीय तरंगों को भू आकृति कार्य (अपरदन निक्षेप परिवहन) सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि सागरीय तरंगे सर्वाधिक शक्तिशाली और प्रभाव कारी …

भूसन्नतियां वलित पर्वत निर्माण

भूसन्नति एवं पर्वत संरचना- प्रथम श्रेणी के उच्चावचो (महाद्वीप एवं महासागर) के भूगर्भिक इतिहास का अध्ययन करने से यह ज्ञात होता है कि शुरुआती दौर में स्थल खंडों के मध्य जलपूर्ण गर्त होते थे।दो दृढ़ स्थलखंडो के बीच स्थित इन उथले सकरे जलपूर्ण गर्तों को भूसन्नतियो के नाम पर जाना जाता है। भूसन्नतियो के भूगर्भिक …

पृथ्वी की उत्पत्ति

आदिकाल से ही पृथ्वी अथवा सौरमंडल तथा ब्रम्हांड की उत्पत्ति के विषय में जानने की जिज्ञासा मानव की सोच विस्तार का केंद्रीय विषय वस्तु रहा शुरुआती दौर में पृथ्वी अथवा सौरमंडल की उत्पत्ति या आयुु संबंधी तथ्य पूर्णतया धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है।जैसे-ईसाई धर्म के अनुसार ईश्वर ने पृथ्वी का निर्माण 4004 ईसा पूर्व को …

अनाच्छादन

अनाच्छादन – अनाच्छादन बर्हिजनित भू-संचलन से संबंधित एक ऐसा संयुक्त प्रक्रम है जिसके अंतर्गत अपक्षय, अपरदन और बृहद क्षरण की क्रियाएं होती हैं। अपक्षय परिवहन की अनुपस्थिति में होने वाली एक ऐसी स्थैतिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा चट्टानों में भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन होता है। परिणाम स्वरूप चट्टानें असंगठित होकर अवसादो में परिवर्तित हो जाती …

भौतिक भूगोल की प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

भौतिक भूगोल की प्रकृति एवं विषय क्षेत्र –प्राचीन काल से ही भूगोल विचारकों के अध्ययन का एक केंद्र बिंदु रहा है।प्राचीन विचारकों यथा भारतीय , रोमन, यूनानी तथा मध्यकालीन एवं आधुनिक भूगोलवेत्ताओं ने भूगोल को परिभाषित करने का प्रयास किया है ।हम जानते हैं कि भूगोल आंग्ल भाषा के ज्योग्राफी का है। इसकी उत्पत्ति यूनानी …

27 March 2021 Current affairs

उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 ● हाल ही में एक संसदीय समिति द्वारा उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम 2020 पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। प्रमुख अनुशंसाए ● सरकार को अनुचित व्यापार प्रक्रियाओं को अधिक स्पष्ट रूप में परिभाषित करना चाहिए।● सरकार को इस मुद्दे से निपटने के लिए एक व्यावहारिक कानूनी उपाय निर्धारित करना चाहिए।● …

PRELIMS FACTS

● ICC T20 रैंकिंग में किस भारतीय महिला को प्रथम स्थान- शेफाली वर्मा● राज्य कर्मचारियों के वेतन में 30% की वृद्धि- तेलंगाना● भारत में पहली बार ‘Free Space Quantum Communication’ का प्रदर्शन- ISRO● औपचारिक स्वदेशी भाषा ज्ञान प्रणाली स्कूल का उद्घाटन- अरुणाचल प्रदेश● फिच ने 2021-22 में भारत की वृद्धि दर-12.8% का अनुमान● मूडीज ने …