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पुनर्जागरण काल

भारत में पुनर्जागरण काल तथा महत्वपूर्ण खोज यात्री विशेषकर यूरोपीय इतिहास में तेरहवीं शताब्दी से 17वीं शताब्दी के मध्य के समय को उत्तर मध्यकाल अथवा इस युग को तथ्य अन्वेषण युग भी कहा जाता है। इस काल में नए-नए मार्गो, द्बीपो की खोज हुई। स्वतंत्रता, समानता, व्यक्तिवाद, मानवतावाद, तर्कवाद तथा वैज्ञानिक चेतना ने धार्मिक कट्टरपंथ …

अरब भूगोलवेत्ता

यूरोप में अंध युग तथा भूगोल के विकास में अरब भूगोलवेत्ताओं का योगदान।   परिचय      रोमन साम्राज्य के पतन होने के पश्चात यूरोप में धार्मिक कट्टरपंथ तथा रुढिंयो का समाज पर प्रभाव बढ़ने लगा।बाइबिल के अनुसार प्रत्येक विषय वस्तु की व्याख्या की जाने लगी तथा उसमें कही गई बातों के इतर विचारों को कठोरता पूर्वक दबाया …

मात्रात्मक क्रांति

मात्रात्मक क्रांति     भूगोल में गणितीय एवं सांख्यिकी विधियों का अधिकाधिक प्रयोग ही मात्रात्मक क्रांति है। भौगोलिक अध्ययन में आनुभाविक विधि तंत्र के प्रयोग के कारण द्वितीय विश्व युद्ध तक भूगोल के एक विषय के रूप में मान्यता पर प्रश्न खड़ा होने लगा। भूगोल को खुद को बचाने के लिए प्रिंसटन विश्वविद्यालय द्वारा (1949) world science …

भारतीय भूगोलवेत्ता

भारतीय भूगोलवेत्ता     परिचय               प्राचीन भारत में भूगोल अन्य विषयों की भांति धर्म पर आधारित था। इसका अलग से भूगोल विषय के उपनाम से अध्ययन नहीं किया जाता था। उस समय के धर्म ग्रंथों, प्रसिद्ध विचारकों की पुस्तकों का विश्लेषण करने से हमें अत्यंत महत्वपूर्ण भौगोलिक जानकारियां प्राप्त होती हैं। भूगोल से संबंधित प्रमुख तथ्य भूगोल …

प्राचीन चीन में भौगोलिक ज्ञान

प्राचीन चीन में भौगोलिक ज्ञान    परिचय-   400 ईसा पूर्व से लेकर 1000 ईसवी तक एशिया के पूर्वी भाग में चीनी सभ्यता विश्व की अन्य सभ्यताओं की तुलना में प्राकृतिक अवरोधों के कारण अलग-अलग स्वतंत्र रूप से विकसित हुई। अन्य सभ्यताओं के विपरीत यह सभ्यता कभी नष्ट नहीं हुई आज भी यह निरंतर परिवर्तनशील रूपों के …