8 July 2021 Current affairs

नवेगाँव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व और ब्लैक पैंथर

चर्चा में क्यों?

● हाल ही में महाराष्ट्र के नवेगाँव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व (Navegaon-Nagzira Tiger Reserve- NNTR) में एक दुर्लभ मेलानिस्टिक तेंदुआ देखा गया है। आमतौर पर सामान्य भाषा में इसे ब्लैक पैंथर (Black Panther) के रूप में जाना जाता है।

मेलानिस्टिक तेंदुआ/ब्लैक पैंथर के बारे में:-

  • तेंदुआ (Panthera Pardus) या तो हल्के रंग का होता है (हल्के पीले से गहरे सुनहरे या पीले रंग के) या इसके शरीर पर काले रंग के गुच्छे में फर/बाल पाए जाते हैं।
  • मेलानिस्टिक तेंदुआ का रंग या तो पूरी तरह से काला होता है या फिर यह बहुत गहरे रंग का होता है जो ब्लैक पैंथर के रूप में जाने जाता है। यह धब्बेदार भारतीय तेंदुओं का रंग रूप है, जो दक्षिण भारत के घने जंगलों में पाया जाता है।
  • तेंदुओं के काले रंग के आवरण का कारण अप्रभावी एलील (Recessive Alleles) और जगुआर के एक प्रभावी एलील की उपस्थिति का होना है। प्रत्येक प्रजाति में एलील्स का एक निश्चित संयोजन जानवर के फर और त्वचा में बड़ी मात्रा में काले वर्णक मेलेनिन (मेलानिज्म) के उत्पादन को उत्तेजित करता है।
  • काले आवरण की उपस्थिति अन्य कारकों से प्रभावित हो सकती है, जैसे कि आपतित प्रकाश का कोण और जानवर का जीवन का स्तर।
  • यह एक सामान्य तेंदुए की तरह शर्मीला होता है और इसको खोजना भी मुश्किल होता है।

आवास:-

  • ये मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिमी चीन, बर्मा, नेपाल, दक्षिणी भारत, इंडोनेशिया और मलेशिया के दक्षिणी भाग पाए जाते हैं।
  • भारत में यह कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र आदि राज्यों में पाया जाता है।

खतरा:-

  • प्राकृतिक वास का नुकसान।
  • वाहनों से टक्कर।
  • रोग।
  • मानव अतिक्रमण।
  • अवैध शिकार।

संरक्षण स्थिति:-

  • IUCN रेड लिस्ट: सुभेद्य (Vulnerable)
  • CITES: परिशिष्ट ।
  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची ।।

नवेगाँव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व

बारे में:-

  • यह महाराष्ट्र के गोंदिया और भंडारा ज़िलों में स्थित है।
  • रणनीतिक रूप से यह टाइगर रिज़र्व, केंद्रीय भारतीय बाघ परिदृश्य के केंद्र में स्थित है जहाँ देश की कुल बाघ आबादी का लगभग 1/6 भाग पाया जाता है।

गठन:-

  • इसे दिसंबर, 2013 में भारत के 46वें टाइगर रिज़र्व के रूप में अधिसूचित किया गया था।

जुड़ाव:

  • NNTR मध्य भारत में प्रमुख बाघ अभयारण्यों के साथ सीमा साझा करता है जैसे-
  • ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व, महाराष्ट्र
  • कान्हा और पेंच टाइगर रिजर्व, मध्यप्रदेश
  • इंद्रावती टाइगर रिजर्व, छत्तीसगढ़
  • तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कवाल टाइगर रिजर्व तथा और नागार्जुन सागर और छत्तीसगढ़ में अचनकमार टाइगर रिज़र्व (अप्रत्यक्ष रूप से)
  • यह उमरेद-करहंदला अभयारण्य और ब्रह्मपुरी डिवीज़न (महाराष्ट्र) जैसे महत्त्वपूर्ण बाघ क्षेत्रों से भी जुड़ा हुआ है।

वनस्पतिः

  • यहाँ प्रमुख रूप से ‘दक्षिणी उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन’ (Southern Tropical Dry Deciduous Forest) पाए जाते हैं।
  • ० इस रिज़र्व में कुछ काँटेदार पौधे भी पाए जाते हैं और यहाँ बाँस बहुतायत में होता है।

जीव-जंतुः-

  • यहाँ तेंदुए जैसे बड़े मांसाहारी और जंगली कुत्ते, भेड़िया, गीदड़, जंगल बिल्ली तथा ‘स्लॉथ बीयर’ जैसे छोटे माँसाहारी जानवर पाए जाते हैं।
  • महत्त्वपूर्ण शाकाहारी जंतुओ में चीतल, सांभर, नीलगाय, चौसिंगा, कांकड़/बार्किंग डियर, जंगली सुअर औरभारतीय गौर शामिल हैं। यहाँ माउस डीयर को भी देखा गया है।
  • यहाँ पक्षियों की 300 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

महाराष्ट्र में अन्य संरक्षित क्षेत्र:

  • सह्याद्री टाइगर रिज़र्व ।
  • मेलघाट टाइगर रिजर्व।
  • गरेट इंडियन बस्टर्ड अभयारण्य ।
  • कर्नाला पक्षी अभयारण्य ।
  • संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान।
  • पेंच राष्ट्रीय उद्यान।

ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) ने ‘ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स’ (ONDC) परियोजना के लिये एक सलाहकार समिति नियुक्त करने के आदेश जारी किये हैं, जिसका उद्देश्य “डिज़िटल एकाधिकार” को रोकना है।

  • यह ई-कॉमर्स प्रक्रियाओं को ओपन सोर्स बनाने की दिशा में एक कदम है, इस प्रकार एक ऐसा मंच तैयार किया जा रहा है जिसका उपयोग सभी ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं द्वारा किया जा सकता है।
  • इससे पहले, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने उपभोक्ता संरक्षण के लिये ई-कॉमर्स नियमों का मसौदा जारी किया था, जिसमें ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस जैसे- अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट छोटे व्यवसायों द्वारा शिकायत (कि ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस बाज़ार के प्रभुत्व का दुरुपयोग करते हैं तथा एक अनुचित लाभ हासिल करने के लिये गहरी छूट देते हैं।) किये जाने के बाद कैसे काम करते हैं, में बदलाव लाने की कोशिश करते हैं।

प्रमुख बिंदु:
परिचय:

  • ONDC का उद्देश्य किसी विशिष्ट प्लेटफॉर्म पर स्वतंत्र, खुले विनिर्देशों और ओपन नेटवर्क प्रोटोकॉल का उपयोग करते हुए ओपन-सोर्स पद्धति पर विकसित ओपन नेटवर्क को बढ़ावा देना है।
  • ओपन-सोर्स तकनीक पर आधारित नेटवर्क के माध्यम से ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को एकीकृत करने की परियोजना को भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Council of India) को सौंपा गया है।
  • ONDC जिसका कार्यान्वयन एकीकृत भुगतान प्रणाली (UPI) की तर्ज पर होने की उम्मीद है, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा किये गए विभिन्न परिचालन पहलुओं को समान स्तर पर ला सकता है।
  • विभिन्न परिचालन पहलुओं में विक्रेताओं की ऑनबोर्डिंग, विक्रेता की खोज, मूल्य की खोज और उत्पाद सूचीकरण आदि शामिल हैं।
  • ONDC पर खरीदार और विक्रेता इस तथ्य के बावजूद लेन-देन कर सकते हैं कि वे एक विशिष्ट ई-कॉमर्स पोर्टल से जुड़े हुए हैं।

महत्त्व:

  • यदि ‘ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स’ (ONDC) को अनिवार्य रूप से लागू किया जाता है, तो इसका अर्थ यह होगा कि सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को समान प्रक्रियाओं (जैसे एंड्रॉइड आधारित मोबाइल डिवाइस आदि) का उपयोग करना होगा।
  • यह छोटे ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं और नए प्रवेशकों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है।
  • हालाँकि यदि इसे अनिवार्य किया जाता है तो यह बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिये समस्यायुक्त हो सकता है, जिनके पास ई-कॉमर्स क्षेत्र में संचालन के लिये पहले से ही प्रक्रियाएँ और तकनीक मौजूद हैं।
  • ‘ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स’ के माध्यम से संपूर्ण मूल्य शृंखला को डिजिटाइज़ करने, संचालन का मानकीकरण करने, आपूर्तिकर्त्ताओं के समावेश को बढ़ावा देने, रसद में दक्षता प्राप्त करने और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान करने में मदद मिलेगी।

ओपन-सोर्स का अर्थ

  • एक सॉफ्टवेयर या एक प्रक्रिया के ओपन-सोर्स होने का अर्थ है कि उसके कोड या उस प्रक्रिया के चरणों को दूसरों के उपयोग, पुनर्वितरण और संशोधन के लिये स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराया जाता है।
  • उदाहरण के लिये ‘एप्पल’ कंपनी के ‘iPhones’ (iOS) का ऑपरेटिंग सिस्टम ‘क्लोज़्ड सोर्स’ है, जिसका अर्थ है कि इसे कानूनी रूप से संशोधित या परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।
  • वहीं दूसरी ओर गूगल का एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम ‘ओपन-सोर्स’ है और इसलिये सैमसंग, श्याओमी, वनप्लस जैसे स्मार्टफोन निर्माताओं द्वारा इसे कुछ विशिष्ट संशोधनों के साथ प्रयोग किया जाता है।

टेली लॉ

● हाल ही में न्याय विभाग ने कॉमन सर्विस सेंटर(CSC) के माध्यम से अपने टेली-लॉ कार्यक्रम के अंतर्गत 9 लाख से अधिक लाभार्थियों तक पहुँचने का नया कीर्तिमान बनने के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया।

टेली-लॉ के विषय में:

  • ● इसे कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सहयोग से वर्ष 2017 में नागरिकों के लिये कानूनी सहायता को सुलभ बनाने हेतु लॉन्च किया गया था।
  • यह वर्तमान में 50,000 CSC नेटवर्क के माध्यम से 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 633 ज़िलों (115 आकांक्षी ज़िलों सहित) में काम कर रहा है।
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत पंचायत स्तर पर CSC के विशाल नेटवर्क पर उपलब्ध वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, टेलीफोन/तत्काल कॉलिंग सुविधाओं से वकीलों और नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से जोड़ा जा रहा है।
  • भले ही टेली-लॉ कार्यक्रम प्रौद्योगिकी संचालित है परंतु इसकी सफलता ग्रामीण स्तर के उद्यमियों (Village Level Entrepreneur), पैरा लीगल वालंटियर्स (Para Legal Volunteer), राज्य समन्वयकों और पैनल वकीलों सहित क्षेत्रीय कार्यकर्त्ताओं के कामकाज पर निर्भर है।

लाभ:

  • यह किसी भी व्यक्ति को कीमती समय और धन बर्बाद किये बिना कानूनी सलाह लेने में सक्षम बनाती है। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 12 के तहत उल्लिखित मुफ्त कानूनी सहायता के लिये पात्र लोगों हेतु यह सेवा मुफ्त है। अन्य सभी के लिये मामूली शुल्क लिया जाता है।
  • हाल ही में ‘कानूनी प्रतिनिधित्व की गुणवत्ता : भारत में मुफ्त कानूनी सहायता सेवाओं का एक अनुभवजन्य विश्लेषण’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसके अनुसार लोग मुफ्त विधिक सहायता प्रणाली के हकदार हैं, वे इस सेवा को एक विकल्प के रूप में तब देखते हैं, जब वे निजी वकील का खर्च वहन नहीं कर पाते।

SDG का समर्थन

  • यह पहल सतत् विकास लक्ष्य-16 पर केंद्रित है, जो “स्थायी विकास के लिये शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों को बढ़ावा देगा तथा सभी के लिये’ न्याय तक पहुँच स्थापित करेगा एवं सभी स्तरों पर प्रभावी, जवाबदेह व समावेशी संस्थानों का निर्माण करेगा।

आत्मनिर्भर भारत : अवसर और चिंताएं

यूके इंडिया बिजनेस काउंसिल ने रोड टु ए के इंडिया फ्री ट्रेड एग्रीमेंट : एन्हाॅन्सिंग द पार्टनरशिप एंड अचिविंग सेल्फ रिलायंस शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है।

• भारत मैं व्यापार करने को लेकर यूके इंडिया बिजनेस काउंसिल के वार्षिक सर्वेक्षण के मुताबिक ब्रिटेन की 77% कंपनियों का मानना है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान एक चुनौती के बजाय अवसर प्रदान करता है।

प्रमुख बिंदु

  • आत्मनिर्भर भारत अभियान को वर्ष 2014 में शुरू किए गए ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के विस्तार के रूप में देखा जाना चाहिए क्योंकि दोनों ही अभियान घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय व्यापार से विनिर्माण निवेश हासिल करने के उद्देश्य को साझा करते हैं।
  • इस अभियान ने विदेशी निवेशकों के लिए रक्षा, परमाणु ऊर्जा, कृषि, बीमा, स्वास्थ्य सेवा, नागरिक उड्डयन सहित कई क्षेत्रों में निवेश के अवसरों का प्रदान किया है।

बढ़ती चिंता

  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश का कम होना, इस कार्यक्रम के कुछ पहलुओं जैसे आयात एवं आयात प्रतिस्थापन पर टैरिफ हुआ गैर टैरिफ प्रतिबंध में वृद्धि आदि यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार तथा निवेश को कम करने की क्षमता है।
  • बिजली वितरण कंपनियां और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बिजली खरीद समझौते पर दोबारा बातचीत करने के लिए तदर्थ परिवर्तन को अपनाती है।

नीतिगत विषय

• अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी निवेशकों के लिए खोलना एक महत्वपूर्ण कदम था, लेकिन इससे जुड़ी प्रक्रियाओं से संबंधित कई पहलुओं के बारे में अस्पष्टता की कमी थी।

सुझाव

  • भविष्य की रणनीति बनाना ।
  • भारत में मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार हेतु खुले पन को बढ़ावा देना।
  • नवोन्मेषको के विकास और समर्थन पर ध्यान देना।
  • डिजिटल और डाटा

आत्मनिर्भर भारत अभियान

मई 2020 में प्रधानमंत्री द्वारा 20 लाख करोड़ रुपए के इस कार्यक्रम को आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के साथ प्रारंभ किया गया, इसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता का लक्ष्य प्राप्त करना था।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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