सागरीय लहरें (Oceanic waves)

सागरी लहरें- सागरीय लहरों, धाराओं, सुनामी, ज्वारीय तरंगों आदि के द्वारा सागरीय जल का कार्य संपन्न किया जाता है। वायु जनित कारकों, चंद्रमा सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति, सागरीय भाग में होने वाली ज्वालामुखी क्रियाओं एवं भूकंपो (अंत: सागरीय भूकंपो एवं अंतः सागरीय ज्वालामुखी) चक्रवातों एवं मानव जनित कारकों के द्वारा क्रमशः वायुजनित तरंगे, ज्वारीय तरंगे, सुनामी, तूफान तरंगों की उत्पत्ति होती है।
सागरीय लहरें जिस जल स्तर पर होकर प्रवाहित होती हैं उसे फेंच कहते हैं। फेंच पर प्रवाहित लहरो का कुछ भाग उठने एवं कुछ भाग नीचे गिरने के कारण क्रमशः श्रृंग एवं गर्त का निर्माण हुआ। क्रमशः दो श्रृंगो एवं दो गर्तो के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं। तथा एक लहर के द्वारा दो क्रमबद्ध श्रृंग या गर्तो को तय करने में लगे समय को ही तरंग आवृत्ति कहते हैं। इस तरह आवृत्ति का तरंग दैर्ध्य से विपरीत संबंध होने के कारण तरंगों की आवृत्ति अधिक होने पर तरंगों का वेग भी अधिक होता है।
महासागरीय जल जब तट की ओर प्रवाहित होता है तो उस समय गहराई कम होने के कारण तरंग की ऊंचाई अधिक होने लगती है। तरंगों की ऊंचाई अत्यधिक होने तथा तरंगों की मार्ग में सागरीय नितल द्वारा बाधा उत्पन्न किए जाने के कारण तरंगों के श्रृंग टूट जाते हैं इन्हीं टूटी तरंगों को सर्क, ब्रेकर या स्वाश कहते हैं। उस बिंदु पर जहां समान ऊंचाई वाली तरंगों के श्रृंग टूट कर सर्क में बदल देते हैं। उन बिंदुओं को मिलाते हुए समुद्री तट के समानांतर खींची गई रेखा को प्लंज लाइन कहते हैं। ये सर्क जब तट से टकराते हैं तो इनका जल कई भागों में बांट जाता है। इनमें तट के समानांतर प्रवाहित होने वाले जल को बेलांचली कहते हैं। जल की सतह के रास्ते पुनः समुद्र की ओर लौटने वाले जल की तरंगिका तथा जलीय सतह के नीचे प्रवाहित समुद्रोन्मुखी जल को अध: प्रवाह करते हैं।
टूटे हुए श्रृंगो के अपरदनात्मक कार्यों के द्वारा ढांचा क्लिफ, वेवकट प्लेटफॉर्म तथा निक्षेपात्मक कार्यों के द्वारा पुलिन, वेव वुल्ट प्लेटफार्म जैसी स्थलाकृतियों की उत्पत्ति होती है। वही अध: प्रवाह द्वारा स्थलाकृतियों का विनाश भी होता है। धाराओं के माध्यम से सागरीय जीवो को प्राप्त होने वाले पोषक तत्वों से सागरीय पारिस्थितिकी तंत्र धनी होता है वही यह धाराएं व्यापार पर अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इसी तरह सुनामी द्वारा प्राकृतिक आपदा की स्थिति उत्पन्न कर दी जाती है।
इस तरह सागरीय तरंगों द्वारा जहां अनुकूल परिवर्तन होता है वहीं यह विपरीत ढंग से भी प्रभावित करती हैं।

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