भूगोल तथा इसकी शाखाओं की मौलिक संकल्पनाएं ( Fundamental Concepts of Geography and Its Branches )

( अ ) भूगोल की मौलिक संकल्पनाएं ( Fundamental Concepts of Geography )

भूगोल की महत्वपूर्ण मौलिक संकल्पनाएं निम्नलिखित हैं।

1. भूतल की संकल्पना ( Concept of Earth’s Surface )

‘ भूतल ‘ का शाब्दिक अर्थ है पृथ्वी की ऊपरी सतह किन्तु भूगोल में भूतल का प्रयोग विशिष्ट अर्थ में किया जाता है । भूतल के अन्तर्गत पृथ्वी की ऊपरी सतह ( धरातल ) , धरातल के नीचे की भूपर्पटी ( earth’s crust ) , पृथ्वी के निचले वायुमंडल तथा महासागरीय जल क्षेत्र को सम्मिलित किया जाता है ।

2. अवस्थिति / स्थिति की संकल्पना ( Concept of Location / Situation )

भौगोलिक अध्ययन में अवस्थिति ( location ) या स्थिति ( situation ) का ज्ञान आवश्यक होता है । अवस्थिति और स्थिति का प्रयोग लगभग समान अर्थ में किया जाता है । सामान्यतः ज्यामितीय स्थिति को अवस्थिति ( location ) कहते हैं । स्थिति मुख्यतः तीन प्रकार की होती है—

( 1 ) ज्यामितीय स्थिति

( 2 ) प्राकृतिक स्थिति

( 3 ) सापेक्ष या भौगोलिक स्थिति ।

( 1 ) ज्यामितीय स्थिति ( Geometrical Location ) – ग्लोब या मानचित्र पर अक्षांश तथा देशांतर द्वारा प्रदर्शित स्थिति को ज्यामितीय स्थिति कहा जाता है । किसी स्थान या क्षेत्र की अक्षांशीय स्थिति अत्यंत
महत्वपूर्ण्ण होती है।

  • भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण की ओर दूरी बढ़ने के साथ – साथ तापमान क्रमशः घटना जाता है ।
  • भूमध्य रेखा के समीपवर्ती भागों में तापमान ऊंचा रहता है तथा वर्ष भर मौसम लगभग एक सम्मान ( उच्णादी रहता है और वर्षा भी अधिक होती है । भूमध्य रेखा का अक्षांशीय मान शून्य होता है
  • ध्रुवों का मान 90 ° अक्षांश होता है ।
  • अक्षांशीय स्थिति का जलवायु , वनस्पति , मानव व्यवसाय , मानव जीवन पर अत्यधिक प्रभाव पाया जाता है ।
  • किसी स्थान की देशांतरीय स्थिति का मानव जीवन पर विशेष प्रभाव नहीं पाया जाता है यद्यपि समय का निर्धारण देशांतर से ही होता है ।
  • स्थानीय समय ( local time ) शून्य अंश देशांतर ( ग्रीनविच रेखा या केन्द्रीय मध्याह रेखा ) से पूर्व की ओर प्रति देशांतर 4 मिनट की दर से बढ़ता है और पश्चिम की ओर इसी दर से घटता है ।

( 2 ) प्राकृतिक स्थिति ( NaturalSituation ) – किसी स्थान या क्षेत्र की महाद्वीप , महासागर , पर्वत , नदी . सागर आदि के संदर्भ में स्थिति को सापेक्ष स्थिति कहते हैं । प्राकृतिक स्थिति का मानव के क्रिया कलापों तथा सामाजिक , सांस्कृतिक और राजनीतिक दशाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव पाया जाता है । महाद्वीपीय स्थिति , सागरीय स्थिति , द्वीपीय स्थिति , प्रायद्वीपीय स्थिति , पर्वतीय स्थिति , गिरिपद स्थिति , नदी तटीय स्थिति , दोआबी स्थिति आदि इसके उदाहरण हैं ।

( 3 ) सापेक्ष या भौगोलिक स्थिति ( Relativeor GeographicalSituation ) – किसी स्थान , प्रदेश या देश की अन्य भूभागों देशों के सन्दर्भ में प्रदर्शित स्थिति को सापेक्ष स्थिति कहते हैं । इसके कई प्रकार हो सकते हैं , जैसे- केन्द्रीय स्थिति ( central situation ) , परिधीय या सीमांत स्थिति ( peripheral or marginal situation ) , सामरिक स्थिति ( srategic situation ) आदि ।

भूदृश्य की संकल्पना ( Concept of Landscape )

भूतल पर स्थित दृश्य समस्त तथ्यों के योग को भूदृश्य कहते हैं ।

भू – दृश्य को दो बृहत् वर्गों में विभक्त किया जाता है –

(1 ) प्राकृतिक भूदृश्य ( physical landscape )

( 2 ) सांस्कृतिक भूदृश्य ( cultural landscape )

जर्मन शब्दावली ‘ लैण्डशाफ्ट ‘ ( landschaft ) का प्रयोग भूदृश्य के पर्याय के रूप में प्रयुक्त होता है किन्तु जर्मनी में लैण्डशाफ्ट शब्दावली का प्रयोग समान प्रदेश , दृश्यनीय भूदृश्य आदि कई अन्य अर्थों में भी किया जाता है । विभिन्न जर्मन भूगोलवेत्ताओं ने लैण्डशाफ्ट का प्रयोग भिन्न – भिन्न अर्थों में किया है । इसीलिए लैण्डशाफ्ट के अंग्रेजी अनुवाद ‘ लैण्डस्केप ‘ का भी कई अर्थों में प्रयोग किया गया है । लैण्डशाफ्ट संकल्पना के प्रति बहुत प्रांतियाँ हैं । हार्टशोर्न ने लिखा है कि आधुनिक जर्मन भूगोलवेत्ता ‘ लैण्डशाफ्ट ‘ ( भूदृश्य ) की ऐसी परिभाषा देने का प्रयास कर रहे हैं जो दृश्यनीय भूदृश्य संकल्पना के समकक्ष हो और साथ ही भौगोलिक अध्ययन के तथ्यों को सही परिभाषा करता हो । इसके फलस्वरूप प्रत्येक भूगोलवेत्ता की भूदृश्य की संकल्पना उसके भौगोलिक विचार के अनुसार भिन्न हो सकती है । अमेरिकी भूगोलवेत्ता कार्ल सावर ( Carl Sauer ) ने 4 : 5183 Hove C statu Preet Well

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