19 & 20 OCTOBER 2021 CURRENT AFFAIR

गर्भ के चिकित्‍सकीय समापन संबंधी नियम

  • हाल ही में सरकार ने गर्भ का चिकित्‍सकीय समापन (Medical Termination of Pregnancy) (संशोधन) अधिनियम, 2021 के तहत नए नियमों को अधिसूचित किया है।
  • गर्भ का चिकित्‍सकीय समापन (MPT) अधिनियम, 1971 में संशोधन करने के लिये 2021 अधिनियम पारित किया गया था।

नियमों के बारे में:-

  • बढ़ी हुई गर्भावधि सीमा: कुछ श्रेणियों की महिलाओं के लिये गर्भावस्था को समाप्त करने की गर्भकालीन सीमा को 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दिया गया है। इसमें सात विशिष्ट श्रेणियाँ हैं:-
  • यौन हमले या बलात्कार की स्थिति में;
  • अवयस्क;
  • विधवा और तलाक होने जैसी परिस्थितियों अर्थात् वैवाहिक स्थिति में बदलाव के समय की गर्भावस्था ;
  • शारीरिक रूप से अक्षम महिलाएँ;
  • मानसिक रूप से बीमार महिलाएँ;
  • भ्रूण की विकृति जिसमें बच्चे के असामान्य होने का पर्याप्त जोखिम होता है या बच्चा पैदा होने के बाद
  • गंभीर शारीरिक या मानसिक असामान्यताओं से पीड़ित हो सकता है;
  • जटिल मानवीय परिस्थितियों,आपदा या आपातकाल के दौरान गर्भावस्था वाली महिलाएँ।

राज्य-स्तरीय मेडिकल बोर्ड:-
* भ्रूण की विकृति के मामलों में 24 सप्ताह के बाद गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है या नहीं, यह तय करने के लिये एक राज्य-स्तरीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा।

  • मेडिकल बोर्ड को अनुरोध प्राप्त होने के तीन दिनों के भीतर गर्भावस्था के मेडिकल टर्मिनेशन के प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करना होता है।
  • गर्भपात प्रक्रिया बोर्ड को अनुरोध प्राप्त होने के पाँच दिनों के भीतर की जानी चाहिये।

महत्त्व:-
* नए नियम सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) 3.1, 3.7 और 5.6 को पूरा करने में मदद के लिये ये नए नियम मातृ मृत्यु दर को प्रबंधित करने में योगदान देंगे।

  • SDG 3.1 मातृ मृत्यु अनुपात को कम करने से संबंधित है, जबकि SDG 3.7 और 5.6 यौन और प्रजनन स्वास्थ्य एवं अधिकारों तक सार्वभौमिक पहुँच से संबंधित है।
  • नए नियम सुरक्षित गर्भपात सेवाओं तक महिलाओं के दायरे और पहुँच को बढ़ाएंगे तथा उन महिलाओं के लिये गरिमा, स्वायत्तता, गोपनीयता और न्याय सुनिश्चित करेंगे जिन्हें गर्भावस्था को समाप्त करने की आवश्यकता है।

संबंधित मुद्दे:-

  • ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ऐसे डॉक्टरों की 75% कमी है, इसलिये गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात के लिये सुविधाओं तक पहुँचने में मुश्किल हो सकती है।

BSF के क्षेत्राधिकार का विस्तार

  • भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1965 में बीएसएफ का गठन किया गया था।
  • गृह मंत्रालय ने असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर तक ज़ब्ती, तलाशी और गिरफ्तारी हेतु ‘सीमा सुरक्षा बल’ (BSF) के क्षेत्राधिकार का विस्तार करने के लिये एक अधिसूचना जारी की है।

आदेश के संबंध में:-
* यह अधिसूचना बीएसएफ अधिनियम, 1968 के तहत वर्ष 2014 के एक आदेश को प्रतिस्थापित करेगी, जिसमें मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय को भी शामिल किया गया था।

  • जिन उल्लंघनों के मामले में सीमा सुरक्षा बल तलाशी और ज़ब्ती की कार्यवाही कर सकता है, उनमें नशीले पदार्थों की तस्करी, अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी, विदेशियों का अवैध प्रवेश और किसी अन्य केंद्रीय अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध आदि शामिल हैं।
  • किसी संदिग्ध को हिरासत में लेने या निर्दिष्ट क्षेत्र के भीतर एक खेप ज़ब्त किये जाने के बाद बीएसएफ केवल ‘प्रारंभिक पूछताछ’ कर सकती है और 24 घंटे के भीतर संदिग्ध को स्थानीय पुलिस को सौंपना आवश्यक है।

संबंधित मुद्दे:-

  • सार्वजनिक व्यवस्था बनाम राज्य की सुरक्षा:
    सार्वजनिक व्यवस्था, जो कि सार्वजनिक शांति और सुरक्षा का प्रतीक है, को बनाए रखना मुख्य रूप से राज्य सरकार का दायित्त्व है (प्रविष्टि-1, राज्य सूची)।
  • हालाँकि जब कोई गंभीर सार्वजनिक अव्यवस्था, जो राज्य या देश की सुरक्षा या रक्षा के लिये खतरा उत्पन्न करती है, तो स्थिति केंद्र सरकार के लिये भी चिंता का विषय बन जाती है (संघ सूची की प्रविष्टि 1)।

• संघवाद की भावना को कमज़ोर करना:
राज्य सरकार की सहमति प्राप्त किये बिना जारी यह अधिसूचना, राज्यों की शक्तियों पर अतिक्रमण करने के समान है।

बीएसएफ के कामकाज पर प्रभाव:-
भीतरी इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखना सीमा सुरक्षा बल के दायरे में नहीं आता है, बल्कि इसका प्राथमिक दायित्व अंतर्राष्ट्रीय सीमा की रक्षा करना है, ऐसे में यह अधिसूचना प्राथमिक दायित्व के निर्वहन को लेकर बीएसफ की क्षमता को कमज़ोर करेगी।

वैश्विक भुखमरी सूचकांक

  • वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2021 में भारत को 116 देशों में से 101वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। वर्ष 2020 में भारत 94वें स्थान पर था।
  • वार्षिक रिपोर्ट: कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फ द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित।
    • गणना:-
    1.अल्पपोषण: अपर्याप्त कैलोरी सेवन वाली जनसंख्या।
    2.चाइल्ड वेस्टिंग: पाँच साल से कम उम्र के बच्चों का हिस्सा, जिनका वज़न उनकी ऊंँचाई के हिसाब से कम है, यह तीव्र कुपोषण को दर्शाता है।
    3.चाइल्ड स्टंटिंग: पाँच साल से कम उम्र के बच्चों का हिस्सा, जिनका वज़न उनकी उम्र के हिसाब से कम है, यह कुपोषण को दर्शाता है।
    4.बाल मृत्यु दर: पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर।

*भारत में चाइल्ड स्टंटिंग में उल्लेखनीय कमी देखी गई है- वर्ष 1998-1999 के स्तर 54.2% से घटकर यह 2016-2018 में 34.7% हो गई थी लेकिन इस क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है।

  • इस स्कोर के आधार पर भारत का स्थान 15 सबसे निम्नतम देशों में है।
  • भारत के अधिकांश पड़ोसी देशों का स्थान भारत से भी पीछे है। पाकिस्तान- 92, नेपाल और बांग्लादेश- 76 तथा श्रीलंका 65वें स्थान पर है।

भारत का पक्ष:-

  • महिला और बाल विकास मंत्रालय ने रिपोर्ट की आलोचना करते हुए दावा किया है कि FAO द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली अवैज्ञानिक है।

भारत द्वारा प्रारंभ पहलें:-

  • ईट राइट इंडिया मूवमेंट
  • पोषण अभियान
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
  • फूड फोर्टिफिकेशन
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013
  • मिशन इंद्रधनुष
  • एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) योजना

सऊदी-ईरान संबंधों का सामान्यीकरण

धार्मिक समूह:-

  • इन दोनों के बीच दशकों पुराना झगड़ा धार्मिक मतभेदों के कारण और गहरा गया है।
  • इनमें से प्रत्येक इस्लाम की दो मुख्य शाखाओं में से एक का पालन करता है। ईरान में बड़े पैमाने पर शिया मुस्लिम है, जबकि सऊदी अरब स्वयं को प्रमुख सुन्नी मुस्लिम शक्ति के रूप में देखता है।
  • ऐतिहासिक रूप से सऊदी अरब राजशाही और इस्लाम धर्म का जन्मस्थान है जो स्वयं को विश्व में इस्लामिक-स्टेट का नेतृत्वकर्त्ता समझता था।
  • क्षेत्रीय शीत युद्ध

संबंधों के सामान्यीकरण का कारण:-

  • सऊदी अरब की विज़न 2030 रणनीति: यह देश की अर्थव्यवस्था, रक्षा, पर्यटन और नवीकरणीय ऊर्जा में लक्षित सुधारों को संदर्भित करता है।
  • कोविड-19 के संदर्भ में सऊदी अरब ने यह महसूस किया है कि महत्त्वपूर्ण निवेश को केवल ईरान के साथ डी-एस्केलेशन के माध्यम से आकर्षित किया जा सकता है।
  • क्षेत्रीय मोर्चे पर समझौता: सऊदी अरब, अरब लीग (एक क्षेत्रीय संगठन) ने सीरिया के सत्ता धारी के रूप में बशर असद (Bashar Assad) को नियुक्त करने की प्रक्रिया में भी शामिल है, जिसका ईरान ने स्वागत किया है।
  • क्षेत्र से अमेरिका की वापसी: नए अमेरिकी राष्ट्रपति (जो बाइडेन) प्रशासन का आगमन एवं अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी तथा अब भारत-प्रशांत क्षेत्र पर अधिक ध्यान केंद्रित करना, ईरान पर सऊदी-अरब के नरम रुख का एक और कारण हो सकता है।

वन हेल्थ कंसोर्टियम

  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने देश का पहला वन हेल्थ कंसोर्टियम (One Health Consortium) लॉन्च किया है।
  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत भारत सरकार का एक विभाग है।
  • यह मौज़ूदा नैदानिक परीक्षणों के उपयोग और उभरती हुई बीमारियों के प्रसार की निगरानी और समझ के लिये अतिरिक्त पद्धतियों के विकास पर भी ध्यान देता है।

महत्त्व:-

  • यह भविष्य की महामारियों से होने वाले नुकसान को कम करने के लिये मानव, जानवरों और वन्यजीवों के स्वास्थ्य को समझने हेतु एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करेगा।

संबंधित सरकारी कदम:-

  • ‘वन हेल्थ’ पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह:-
  • भारत द्वारा मई 2019 में एक बहु-क्षेत्रीय, ट्रांसडिसिप्लिनरी सहयोगी समूह के रूप में ‘वन हेल्थ’ पर एक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह की स्थापना की गई थी।
  • हाल ही में अप्रैल 2021 में समूह द्वारा पहचान की गई जलवायु संवेदनशील बीमारियों और ‘वन हेल्थ’ पर विषय विशिष्ट स्वास्थ्य कार्य योजनाओं को शामिल करते हुए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
  • 2017 में ‘माले घोषणा-पत्र’ (Male Declaration):-
    ग्रीन एंड क्लाइमेट रेजिलिएंट हेल्थकेयर फैसिलिटीज़ के संदर्भ में भारत वर्ष 2017 में माले घोषणा-पत्र का हस्ताक्षरकर्त्ता बन गया और किसी भी जलवायु घटना का सामना करने में सक्षम होने के लिये जलवायु-लचीला स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देने हेतु सहमत हुआ।
  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज ( UHC):-
    जैसा कि संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों के SDG 3 में कहा गया है कि इसका लक्ष्य सभी के लिये समान गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा हेतु सबसे महत्त्वपूर्ण प्रतिबद्धताओं में से एक है।
    भारत SDG के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की दिशा में तब एक कदम और आगे बढ़ा, जब वर्ष 2018 में देश ने UHC हासिल करने हेतु एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना, आयुष्मान भारत की शुरुआत की।

• ‘वन हेल्थ’ संबंधी अवधारणा:
परिचय:-

* वन हेल्थ एक ऐसा दृष्टिकोण है जो यह मानता है कि मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और हमारे चारों ओर के पर्यावरण के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है।

  • वन हेल्थ का सिद्धांत संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization-FAO), विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (World Organisation for Animal Health- OIE) के त्रिपक्षीय-प्लस गठबंधन के बीच हुए समझौते के अंतर्गत एक पहल/ब्लूप्रिंट है।
  • इसका उद्देश्य मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, पौधों, मिट्टी, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र जैसे विभिन्न विषयों के अनुसंधान और ज्ञान को कई स्तरों पर साझा करने के लिये प्रोत्साहित करना है, जो सभी प्रजातियों के स्वास्थ्य में सुधार, रक्षा और बचाव के लिये ज़रूरी है।

इबोला का प्रकोप:-

●इबोला के प्रकोप का अंत किए जाने के 4 महीने बाद ‘लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो’ में फिर से इसके मामले देखे गए हैं।
●कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) द्वारा मई 2021 में, आधिकारिक तौर पर 12वें इबोला प्रकोप के अंत की घोषणा की गयी थी।

इबोला’ के बारे में:-

●इबोला विषाणु रोग (EVD), मनुष्यों में फैलने वाली एक घातक बीमारी है। इसके लिए पहले ‘इबोला रक्तस्रावी बुखार’ (Ebola haemorrhagic fever) के रूप में जाना जाता था।
●इबोला का प्रसरण: यह विषाणु, वन्यजीवों से मनुष्यों में फैलता है और फिर मानव आबादी में मानव-से-मानव संचरण के माध्यम से फैलता है।
●औसतन इबोला विषाणु रोग (EVD) मामलों में मृत्यु दर लगभग 50% होती है। इस बीमारी के पिछले प्रकोपों के दौरान संक्रमित मामलों में मृत्यु दर 25% से 90% तक परिवर्तित होती रही है।
●निवारण / रोकथाम: इस बीमारी के प्रकोप को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने के लिए सामुदायिक भागीदारी अति महत्वपूर्ण है। प्रकोप पर अच्छे तरीके से नियंत्रण, संक्रमित मामलों का प्रबंधन, निगरानी और संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान करना, उपयुक्त प्रयोगशाला सेवाएँ, और सामाजिक जागरूकता पर निर्भर करता है।
●उपचार: पुनर्जलीकरण (rehydration) सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ प्रारंभिक सहायक देखभाल और लाक्षणिक उपचार, रोगी के जीवित रहने में अवसरों में सुधार करता है। अभी तक, इस विषाणु को निष्प्रभावी करने के कोई भी प्रमाणिक उपचार उपलब्ध नहीं है। हालांकि, रक्त- चिकित्सा, प्रतिरक्षा और ड्रग थेरेपी आदि रोगोपचार विकसित किए जा रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय वित्त निग

प्रकरण-
इस अंतरराष्ट्रीय निकाय के द्वारा जुलाई 2021 में भारत के साथ में सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक को कोयले के वित्तपोषण पर रोक लगाने को कहा था। चूंकि यह वाणिज्यिक बैंक जिंदल स्टील वर्क्स एनर्जी लिमिटेड, अदानी पावर राजस्थान लिमिटेड जैसी फार्म के लिए एक प्रमुख अन्नदाता है। इसलिए या संभावना व्यक्त की जा रही है कि इससे भारत के ऊर्जा उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम के संदर्भ में-
यह अंतर्राष्ट्रीय संस्थान विकासशील देशों में निजी क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए निवेश सलाहकार के साथ-साथ संपत्ति प्रबंधन की सेवाएं प्रदान करता है ।
यह विश्व बैंक समूह का एक सदस्य है। इसकी स्थापना 1956 में सदस्य देशों के लाभकारी तथा व्यवसायिक परियोजनाओं मैं निवेश को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देना । इसका स्वामित्व तथा प्रशासन सदस्य देशों द्वारा किया जाता है तथा इसके शेयर धारक भी सदस्य देश होते हैं। यह विभिन्न प्रकार के ऋण तथा इक्विटी फाइनेंसिंग सेवाएं प्रदान करता है। संक्षेप में यह संस्थान निजी क्षेत्र के विकास के द्वारा सदस्य देशों के विकास में भागीदार बनता है।

cop-26

यूनाइटेड किंगडम की अध्यक्षता में नवंबर के शुरुआत में cop- 26का आयोजन किया जाएगा। इसका आयोजन ग्लास्गो में होगा।
UNF CCC के विषय में-
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क अभिसमय(UN f CCC) के अधीन cop26 का आयोजन किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इसकी स्थापना 1994 में की गई थी। प्रथम सम्मेलन 1995में जर्मनी के बर्लिन शहर में हुआ था। भारत में नवंबर 2002में दिल्ली में cop-8 का आयोजन हुआ था। सी ओ पी 3 में क्योटो प्रोटोकॉल को अपनाया गया था।

हेनरीएटा लैक्स

● 70 साल पहले सर्वाइकल कैंसर से मरने वाली एक अफ्रीकी-अमेरिकी महिला हेनरीएटा लैक्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा 13 अक्टूबर,2021 को मरणोपरांत सम्मान से सम्मानित किया गया।

● हेनरीएटा लैक्स की सहमति या जानकारी के बगैर एकत्र किए गए उसके बायोप्सी नमूनों ने चिकित्सा विज्ञान में असंख्य सफलताओं को संभव बनाया और कोरोनवायरस रोग पर अनुसंधान में सहायता की।

● ‘हेला’ कोशिका कहे जाने वाले, हेनरीएटा लैक्स के बायोस, पार्किंसंस रोग, प्रजनन स्वास्थ्य (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन सहित), गुणसूत्र स्थितियों, जीन मैपिंग और सटीक दवाओं पर शोधकार्यों में भी प्रमुख महत्व के थे।

फ्लावर स्कॉर्पियनफिश

होप्लोसबेस्ट्स अर्माटस जिसे ‘फ्लावर स्कॉर्पियनफिश’ के रूप में भी जाना जाता है, रे-फिन्नड(ray-finned)/ ‘स्कोपैनिफोर्मे’ मछली वर्ग से संबंधित है।

प्रजातियों की लंबाई 75-127 मिमी. तक होती है, जबकि शरीर की चौड़ाई 14-22 मिमी. होती है। इस प्रजाति का सिर शरीर से तुलनात्मक रूप से बड़ा और लंबा होता है।

पहले यह मछली प्रजाति केवल प्रशांत महासागर में पाई जाती थी लेकिन इसकी सीमा का विस्तार अब उत्तरपश्चिमी प्रशांत से हिंद महासागर तक है। ऐसा माना जा रहा है कि इसके पीछे की वजह ग्लोबल वार्मिंग हो सकती है।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी 

सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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